एक सरकारी इकाई के रूप में नागरिक सुरक्षा का गठन आजादी के पूर्व अंगे्रज हुकुमत द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व किया गया। अगस्त, 1937 में गर्वनर जनरल के सचिव (लोक) की अध्यक्षता में एक केन्द्रीय हवाई हमला निवारण समिति का गठन किया गया। अन्य सम्बन्धित विभागों के पदाधिकारी इसके सदस्य थे। कुछ ही दिनों बाद गर्वनर जनरल द्वारा हवाई हमला निवारण् का विषय गृह विभाग को हस्तान्तरित कर दिया गया। यहां इसके संचालन हेतु एक कोषांग का गठन किया गया। यह व्यवस्था 24 अक्टूबर, 1941 तक चलती रही। पहली बार 24 अक्टूबर, 1941 को गवर्नर जनरल के कार्यकारिणी परिषद्् में डा0 राघविन्द्र राव को नागरिक सुरक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। 1942 में नागरिक सुरक्षा का व्यापक विस्तार हुआ तथा 1943 में यह अपनी चरम स्थिति में कार्यशील रहा। सितम्बर, 1943 से नागरिक सुरक्षा विभाग रक्षा विभाग के एक शाखा के रूप में कार्यशील हुआ। अगस्त, 1945 में नागरिक सुरक्षा विभाग गृह विभाग में स्थानान्तरित कर दिया गया तथा तब से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अन्तर्गत कार्यरत है। आजादी के उपरांत नागरिक सुरक्षा के ढ़ांचा को व्यवस्थित करने हेतु 24 मई, 1968 को भारत सरकार द्वारा ‘‘नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968‘‘ लागू किया गया। इसके आलोक में देश के सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा कोर को संगठित किया गया। इसके उपरांत दिनांक 21 जनवरी, 2010 को ‘‘नागरिक सुरक्षा (संशोधन) अधिनियम, 2009‘‘ लागू किया गया। इस अधिनियम के द्वारा नागरिक सुरक्षा कोर को आपदा प्रबंधन से प्रत्यक्षतः जोड़ा गया।
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नागरिक सुरक्षा महानिदेशालय
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